Thursday 16 January 2014

धरोहर

धरोहर 













भावनाए दिखती नहीं है
एहसास की जाती है
दिखता नहीं
दर्द
अनुभव किया जाता  है
मात्र
दर्द का दर्द से
मिलान करके |
सजो सकते है
किसी कविता में,
कहानी में,
गीत में,
और बाँट सकते हैं
किसी का दर्द, पीड़ा, प्रेम
स्नेह, दुःख -सुख ,
धूप और सर्द |
धरोहर है ये साहित्य वर्तमान की
भविष्य के लिए |
हमारे लिए
अतीत की सीढ़ी है
जिससे हम लौट सकते है
अपने पूर्वजों के पास
जिन्होंने हमें लिखना सिखाया
कविता सिखाया
गीत सिखाया
और संसार की हर चीज
को रखना
सिखाया
माध्यम से
साहित्य के
रचना से
रचनाकार बनना सिखाया

- उमेश मौर्य