धरोहर
भावनाए दिखती नहीं है
एहसास की जाती है
दिखता नहीं
दर्द
अनुभव किया जाता है
मात्र
दर्द का दर्द से
मिलान करके |
सजो सकते है
किसी कविता में,
कहानी में,
गीत में,
और बाँट सकते हैं
किसी का दर्द, पीड़ा, प्रेम
स्नेह, दुःख -सुख ,
धूप और सर्द |
धरोहर है ये साहित्य वर्तमान की
भविष्य के लिए |
हमारे लिए
अतीत की सीढ़ी है
जिससे हम लौट सकते है
अपने पूर्वजों के पास
जिन्होंने हमें लिखना सिखाया
कविता सिखाया
गीत सिखाया
और संसार की हर चीज
सिखाया
माध्यम से
साहित्य के
रचना से
रचनाकार बनना सिखाया
- उमेश मौर्य